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महर्षि चिदात्मन वेद–विज्ञान–अनुसंधान–न्यास, आदि कुम्भ स्थली सिमरिया धाम मिथिलांचल, बेगूसराय, बिहार।

न्यास का अभिलेख

सर्व मंगला अध्यात्म योग विद्यापीठ दिव्य शक्ति पीठ सिद्धाश्रम आदि कुम्भ स्थली सिमरिया धाम अपने संस्थापक–संरक्षक करुणामयी अग्निहोत्री परमहंस संत शिरोमणि स्वामी चिदात्मन जी महाराज की सान्निध्यता में अध्यात्मिक धरातल पर सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय चेतना को मूर्त रूप देते हुए कई दशकों से एक निबद्ध न्यास के रूप में मानवीय मूल्य की मौलिकता का सफल संवाहक बनकर वैश्विक पटल पर रेखांकित है।

परमहंस संत शिरोमणि पूज्य स्वामी जी अपौरुषेय वेद को परम विष्णु परमात्मा का सृष्टि के लिए अनुपम उपहार मानते हैं। अपने आशिर्वचनों में निरन्तर निगम की महिमा का उल्लेख करते हुए वेद को धर्म, दर्शन और विज्ञान की आत्मा के रूप में व्यवस्थित करते हैं। पूज्यपाद संत शिरोमणि स्वामी चिदात्मन जी महाराज का वेद के प्रति अकूट आकर्षण एवं संपूर्ण समर्पण का भाव प्रेरणा पुष्प के रूप में प्रस्फुटित होकर इस न्यास का स्वरूप धारण किया है।

सर्वमंगला अध्यात्म योग विद्यापीठ की दिनांक 03.08.2014 दिवसीय बैठक में समिति द्वारा प्रस्तावित कर सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि वेद विद्या का अध्ययन, अध्यापन एवं उच्चस्तरीय शोध हेतु एक न्यास की स्थापना की जाए। इसमें अपौरुषेय वेद के सभी पक्षों — प्राचीन व्यवस्थागत, सैद्धांतिक, दार्शनिक एवं व्यवहारिक पक्ष और आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधानात्मक अध्ययन — सभी का समावेश हो। यह न्यास सर्वमंगला अध्यात्म योग विद्यापीठ की एक इकाई होते हुए भी अपने स्वतंत्र अस्तित्व में हो।

पुनः दिनांक 10.08.2014 को सर्वमंगला समस्त परिवार की एक आम सभा हुई, जिसमें सर्वमंगला अध्यात्म योग विद्यापीठ द्वारा प्रस्तावित निर्णय के आलोक में सर्वसम्मति से वेद विज्ञान अनुसंधान न्यास की स्थापना का निर्णय लिया गया। यह वेद विहार परम पूज्य गुरुदेव स्वामी चिदात्मन जी के नाम पर ही होगा। न्यास का पूरा नाम स्वामी चिदात्मन वेद विज्ञान अनुसंधान न्यास होगा।